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Class XII – Hindi Elective – 1 – MS

प्रथम प्रतिवर्ष प्रश्न पत्र  2021 – 22

विषय – हिंदी (ऐच्छिक) विषय कोड – 002

कक्षा – 12 वी

निर्धारित अवधि – 2 घंटे                                                                            कुल अंक – 40

  • निम्नलिखित निर्देशों को सावधानी से पढ़िए और उनका पालन कीजिये।
  • इस प्रश्न पत्र में वर्णात्मक प्रश्न पूछे गए हैं |
  • इस प्रश्न पत्र में कुल 9 प्रश्न पूछे गए हैं तथा दो खंडो में विभाजित है |
  • प्रश्नो में आंतरिक विकल्प भी दिए गए हैं, निर्देशानुसार उत्तर लिखये।

1. निम्नलिखित दिए गए 3 शीर्षकों में से किसी 1 शीर्षक का चयन कर लगभग 150 शब्दों में रचनात्मक लेख लिखिए।

क) जब मेरी ख़ुशी का ठिकाना न रहा

ख) कोहरे से ढकी सड़क

ग) सूरज से गप्पे

Ans. भूमिका – 1 अंक

विषय वस्तु – 3 अंक

भाषा – 1 अंक

2. आप जिस कॉलोन/मोहल्ले में रहते है, वहां कोई सार्वजानिक उद्यान नहीं है। उसकी आवश्यकता तथा आभाव से उत्पन्न कठनाइयों का उल्लेख करते हुए किसी प्रतिष्ठित समाचार पत्र के संपादक को 120 शब्दों में पत्र लिखए।

अथवा

आपके क्षेत्र में स्तिथ  एक औद्योगिक संसथान का गन्दा पानी आपके नगर को दूषित कर रहा है।  प्रदुषण नियंत्रण विभाग के मुख्य अधिकारी को इस समस्या से अवगत करने हेतु 120 शब्दों में पत्र लिखए |

Ans. आरंभ और अंत की औपचारकताएँ – 1 अंक

विषय वस्तु – 3 अंक

भाषा – 1 अंक

3 निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 50 शब्दों में लिखिए।

क) कथानक में द्वंद का क्या स्थान है ?

Ans. कथानक की बुनियादी तत्वों में द्वन्द का महत्व बहुत अधिक है। द्वन्द कतनाक को आगे बढ़ाता है। कहानी में द्वन्द दो विरोधी तत्वों का टकराव या किसी की खोज में आने वाली बाधाओं, अंतर्द्वंद आदि के कारण पैदा होता है। कहानीकार अपने कथानक में द्वन्द के बिंदुओं को जितना स्पष्ट रखेगा कहानी भी उतनी ही सफलता से आगे बढ़ेगी।

अथवा

कहानी के तत्वों पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।

Ans.

  • कथानक /कथावस्तु – कहानी का कथानक किसी एक प्रसंग पर आधारित होता है। किसी एक घटना या पात्र की मनोस्तिथि का चित्रण भी हो सकता है। कथानक के तीन भाग होते है – प्रारंभ मध्य और चरमोत्कर्ष।
  • पात्र (चरित्र चित्रण) – कहानी पात्र द्वारा कही जाती है।  कहानी में पात्रों की संख्या सीमित होती है।
  • संवाद – कहानी में संवाद तथा का विकास करते हैं।  पात्रों के स्वभाव और पृष्ठभूमि  के अनुकूल लिखे जाते हैं।
  • देश -काल – वातावरण – हर घटना, पात्र समस्या का अपना देश काल और स्थान होता हैं।  यह कहानी को प्रामाणिक और रोचक बनाने के लिए बहुत आवश्यक हैं।
  • भाषा शैली – कहानी की भाषा बोल चल की होनी चाहिए।  कहानीकार अपनी रूचि, परिवेश के अनुसार भाषा शैली का अनुसरण करता हैं।

–  उद्देश्य – कहानी उद्देश्य पूर्ण होनी चाहिए कहानीकार अपने कहानी के माध्यम से अपने    विचार संप्रेषित करता हैं कहानी का एक उद्देश्य पाठकों का मनोरंजन करना भी हैं।

ख) पात्रों के संवाद लिखते समय किन बातों को ध्यान में रखा जाना चाहिए

Ans. कहानी में संवादों का महत्वपूर्ण स्थान होता हैं। बिना संवाद के किसी भी पात्र की कल्पना नहीं की जा सकती। संववाद कहानी के पात्रों को स्थापित करते हैं।

पात्रों के संवाद लिखते समय इन  बातो का ध्यान में रखना रखा जाना चाहिए –

संवाद छोटे स्वाभाविक और उद्देश्य अनुकूल होने चाहिए।

संवाद पात्रों के स्वभाव और उसकी पृष्ठभूमि के अनुकूल हो।

संवाद उनके विश्वास व आदर्शो तथा स्थितियों के अनुरूम हों।

संवाद लिखते समय लेखक तो गायब हो जाता हैं और पात्र स्वयं संवाद बोलने लगते हैं। संवादों का अनावशयक विस्तार अनेक प्रकार की जटिलताएं उत्पन्न करता हैं।

अथवा

कहानी से आप क्या समझते हैं ?

Ans. कहानी गद्य साहित्य की एक ऐसी विद्या है जिसमें जीवन के किसी एक प्रसंग, किसी एक घटना या मनोस्तिथि का वर्णन होता है। यह वर्णन अपने आप में पूर्ण होता है। अतः किसी घटना, पात्र या समस्या का क्रमबद्ध ब्यौरा जिसमें परिवेश हो, द्वन्दत्मकता हो, कथा का क्रमिक विकास हो, चरम उत्कर्ष का बिंदु हो, उसे कहानी कहा जाता है।

4 निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 50 शब्दों में लिखिए।

क) पत्रकारीय लेखन की समाज में क्या भूमिका है ? स्पष्ट कीजिए कि अच्छे लेखन के लिए कौन कौन सी सावधानियां बरतनी चाहिए ?

Ans. पत्रकार पाठकों को सूचना देने, जागरूक और शिक्षित बनाने का बनाने और उनका मनोरंजन करने का दायित्व निभाते हैं। लोकतांत्रिक समाजों में भी एक पहरेदार, शिक्षक और जनमत निर्माता के तौर पर बहुत महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। अतः पत्रकारीय लेखन के जरिए असंख्य पाठक हर रोज सुबह देश-दुनिया और अपने आस-पड़ोस की घटनाओं समस्या मुद्दों और विचारों से अवगत होते हैं।

अच्छे लेखन के लिए बरती जाने वाली सावधानियां –

पत्रकार या लेखक को सदैव यह याद रखना चाहिए कि वह एक ऐसे विशाल समुदाय के लिए लिख है जिसमें उच्च शिक्षित वर्ग कम शिक्षित वर्ग तथा किसान-मजदूर वर्ग भी शामिल है। अतः शब्द सरल और आसानी से समझ में आने वाले होने चाहिए।

वाक्य छोटे और सहज होने चाहिए।

पत्रकारिता लेखन में 6 ककारो का जवाब देने की कोशिश की जानी चाहिए।

अथवा

विशेष रिपोर्ट कितने प्रकार की होती है ?

Ans. विशेष रिपोर्ट के कई प्रकार होते हैं उनमें प्रमुख है –

  • खोजी रिपोर्ट – खोजी रिपोर्ट के रिपोर्टर मौलिक शोध और छानबीन के जरिए ऐसी सूचना या तथ्य सामने लाता है जो सार्वजनिक तौर पर हम पर पहले से उपलब्ध नहीं थी। खोजी रिपोर्ट का इस्तेमाल आमतौर पर भ्रष्टाचार और अनियमितताओं और गड़बड़ियों को उजागर करने के लिए किया जाता है।
  • इन डेप्थ रिपोर्ट – इस प्रकार की रिपोर्ट में सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध तथ्यों, सूचनाओं और आंकड़ों की गहरी छानबीन की जाती है और उसके आधार पर किसी घटना, समस्या या मुद्दे से जुड़ी महत्वपूर्ण पहलुओं को सामने लाया जाता है।
  • विश्लेषणात्मक रिपोर्ट – इस रिपोर्ट में किसी घटना या समस्या से जुड़े तथ्यों के विश्लेषण और व्याख्या पर जोर होता है।
  • विवरणात्मक रिपोर्ट –  किसी घटना या समस्या के विस्तृत और बारीक विवरण प्रस्तुत किया जाता है।

ख) समाचार लेखन में छह ककार तथा उल्टा पिरामिड शैली क्या है ?

Ans. किसी समाचार को लिखते हुए 6 सवालों का जवाब देने की कोशिश की जाती है, यह छह ककार है एक क्या दो कौन 3 कहां 4 कब ६ कैसे

उल्टा पिरामिड शैली समाचार लेखन की सबसे लोकप्रिय उपयोगी और बुनियादी शैली है।  उल्टा पिरामिड शैली में  समाचार के सबसे महत्वपूर्ण तथ्य को सबसे पहले लिखा जाता है और इसके बाद घटते हुए महत्व क्रम में अन्य सूचनाओं को लिखा  या  बताया जाता है।  कहानी की तरह क्लाइमेक्स अंत में नहीं बल्कि खबर के बिल्कुल शुरू में आ जाता है।

अथवा

पत्रकार कितने प्रकार के होते हैं स्पष्ट कीजिए।

Ans. पूर्णकालिक पत्रकार – पूर्णकालिक पत्रकार किसी समाचार संगठन में काम करने वाला नियमित वेतन भोगी कर्मचारी होता हैं। यह पुरे समय काम करता हैं।

अंशकालिक पत्रकार – अंशकालिक पत्रकार किसी समाचार संगठन के लिए एक निश्चित मानदेय पर काम करने वाला पत्रकार होता है।

फ्रीलांसर यानी सवतंत्र पत्रकार – फ्रीलांसर पत्रकार का सम्बन्ध किसी ख़ास अखबार से नहीं होता।  वह भुगतान के आधार पर अलग अलग अख़बारों के लिए लिखता हैं।

खंड (ख)

(पाठ्यपुस्तक एवं पूरक पाठ्यपुस्तक)

5. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्ही दो प्रश्नों के उत्तर 50 से 60 शब्दों में लिखिए।

क) निम्नलिखित पंक्तियों में निहित काव्य सौंदर्य लिखिए।

भरत सौ  गुनी सार करत है अति प्रिय जानि तिहारे।

यद्यपि दिनहि दिन हो तो झाँवरे मनहुँ कमल हिममारे।

Ans. भाव सौंदर्य – भरत द्वारा राम की सौगुनी देखभाल करने की बात कहकर माता कौशल्या अपने मन की व्यथा को व्यंजित कर रही है।

  • रस – वात्सल्य वियोग 
  • गुण – माधुर्य

शिल्प सौंदर्य

  • ब्रज भाषा का प्रयोग
  • मनहुँ कमल हिम मारे में उत्प्रेक्षा अलंकार
  • सौगुनी सार में अनुप्रास अलंकार

ख) आशय स्पष्ट कीजिये –

पिय सौं कहेहु सँदेसडा, ऐ भंवरा ऐ काग।

सो धनि बिरहे जरि मुई, तेहिक धुआँ हम लाग।

Ans. रानी नागमती भंवरा और काग के माध्यम से अपनी विरह व्यथा का हाल अपने प्रियतम रत्नसेन तक भिजवाना चाहती हैं कि तुम्हारे वियोग में तुम्हारी पत्नी विरह अग्नि में जल मरी है। उसका धुआं हमको लगा है। इसी कारण हमारा रंग काला हो गया है।

ग) विद्यापति के तीनों पदों का प्रतिपाद्य स्पष्ट कीजिये।

Ans. पहले पद में विरहिणी के हृदय के उद्गार को प्रकट करते हुए कवि ने उसको अत्यंत दुखी और कातर बताया है। उसका हृदय प्रियतम ने हर लिया है और वह गोकुल छोड़कर मधुपुर जा बसा है। कवि ने उसके कार्तिक मास में आने की संभावना प्रकट की है।

दूसरे पद में प्रियतमा अपनी सखी से कहती है कि मैं जन्म जन्मांतर से आप अपने प्रियतम का रूप निहारती रही हूं, पर अभी तक मेरे नेत्र तृप्त नहीं हुए हैं। प्रियतम  के मधुर बोल मेरे कानों में गूंजते रहते हैं।

तीसरे पद में कभी नहीं विरहिणी प्रियतमा का दुख भरा चित्र खींचा है। इस दुख के कारण नायिका की आंखों से निरंतर अश्रु-धारा बहती चली जा रही है। इस कारण उसके नेत्र खुल भी नहीं पा रहे हैं। विरहिणी नायिका विरह में क्षण-क्षण क्षीण होती चली जा रही है।

6. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्ही एक प्रश्न का उत्तर 30 से 40 शब्दों में लिखिए।

क) राम के प्रति अपनी श्रद्धा भाव को भरत किस प्रकार प्रकट करते हैं स्पष्ट कीजिए।

Ans. श्रीराम से मिलते समय भरत का शरीर पुलकित है और उनके नेत्रों से प्रेम जल की धारा बह निकलती है। भरत श्री राम की महानता एवं विशाल हृदय का बखान करके उनके प्रति अपनी श्रद्धा भावना को प्रकट करते हैं। वह स्वयं को उनका दास बताते हैं। श्रीराम के प्रति उनका सर्वस्व समर्पित है। भरत अपने प्रति राम के अनन्य प्रेम को याद करते हुए अपने हृदय की भावुकता को मुखरित करते हैं। राम के वनवास जाने और उनके प्रेम खोने को भरत अपना दुर्भाग्य समझकर चित्रकूट की सभा में अपनी आत्मग्लानि और हीनता के भाव को प्रकट करते हैं। वे  सारे घटनाक्रम के लिए स्वयं को दोषी मानते हैं तथा अन्य सभी को इससे मुक्त कर देते हैं।

अथवा

ख) अगहन मास की विशेषता बताते हुए विरहिणी नागमती की व्यथा को अपने शब्दों में लिखिए।

Ans. अगहन मास में ठंड पड़नी शुरू हो जाती है। इस मास में दिन छोटे होने लगते हैं और रातें बड़ी।  नागमती का पति रत्नसेन पद्मिनी की खोज में सिंहल द्वीप गया है। नागमती का वियोग अगहन में और भी बढ़ गया है। उसके साथ में कोई सखी भी नहीं है अतः उसे रात अकेले जाकर बितानी पड़ती है। नागमती तिल-तिल कर जल रही है। वह पति के विरह में ऐसे जल रही है मानो दीपक में  बाती जलती जा रही हो और राख बनती जा रही हो। इस ऋतु में घर-घर में स्त्रियों ने शीत के रंग-बिरंगे वस्त्र पहन लिए हैं और लेकिन नागमती का साज – श्रृंगार तो पति के साथ ही चला गया है।

7. निम्नलिखित में से किन्ही दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 50 से 60 शब्दों में लिखिए।

क) प्रकृति के कारण विस्थापन और औद्योगिककरण के कारण विस्थापन में क्या अंतर है ?

Ans. बाढ़ या भूकंप प्राकृतिक आपदाएं हैं। प्रकृति के कारण जब लोग विस्थापित होते हैं तब यह विस्थापन अस्थाई होता है। आपदा के टलते ही लोग अपने घरों में लौट आते हैं और वहां पहले की तरह रहने लगते हैं। औद्योगीकरण के कारण विस्थापित हुए लोग सदा सदा के लिए अपने घर, अपने परिवेश से अलग हो जाते हैं। उनकी जमीन पर कोई उद्योग स्थापित हो जाता है। वे कभी भी अपने घरों को नहीं लौट पाते औद्योगिकरण की आँधी उन्हें घर और परिवेश से उजाड़ देती है।

ख) ” ‘चार हाथ’ लघुकथा पूंजीवादी व्यवस्था में मजदूरों के शोषण को उजागर करती है”। इस कथन को प्रतिपादित कीजिए।

Ans. ‘चार हाथकथा पूंजीवादी व्यवस्था में मजदूरों के शोषण का शोषण को उजागर करती है। पूंजीपति भांति भांति के उपाय पर मजदूरों को पंगु बनाने का प्रयास करते हैं। वे उनके अहम और अस्तित्व को छिन छिन करने के नए-नए तरीके ढूंढते हैं और अंतत  उनकी अस्मिता ही समाप्त कर देते हैं। मजदूर विरोध करने की स्थिति में नहीं है। वह तो मिल के कलपुर्जे बन गए हैं और लाचारी में आदि मजदूरी पर भी काम करने को विवश है। मजदूरों की यह लाचारी शोषण पर आधारित व्यवस्था का पर्दाफाश करती है।

ग) संभव हो ‘दूसरा देवदास’  क्यों कहा गया है ? इसके औचित्य पर टिप्पणी कीजिए।

Ans. यह शीर्षक प्रतीकात्मक है क्योंकि सामान्यतः  देवदास उसे कहा जाता है जो अपनी प्रेमिका के प्रेम में पागलपन की स्थिति तक जा पहुंचता है। संभव को दूसरा देवदास इसलिए कहा गया है क्योंकि उसके दिल में भी अपनी पारो के लिए उसी प्रकार प्रेम का अंकुरण हो जाता है जैसे कि शरतचंद्र द्वारा रचित उपन्यास देवदासमें देवदास का पारो के लिए हुआ था। शरतचंद्र के उपन्यास का पात्र देवता भी अपनी कारों के प्रति इतना ही आसक्त  था जितना यह दूसरा देवदास (संभव) था। इस दूसरे देवदास के मन में भी, अपनी पारो को देखने की और मिलने की उतनी ही ललक है जितनी पहले देवदत्त में थी। उसका अपना परिचय देते हुए स्वयं को संभव देवदास  बताना भी इसी ओर संकेत है। इस कहानी में घटनाओं का संयोजन इस प्रकार किया गया है कि अनजाने में प्रेम का प्रथम अंकुरण संभव और पारो के हृदय में बड़ी अजीब परिस्थितियों में उत्पन्न होता है। यह प्रथम आकर्षक और परिस्थितियों को गुम्फन ही उनके प्रेम के आधार को मजबूती प्रदान करता है।

8. निम्नलिखित में से किसी एक प्रश्न का उत्तर लगभग 30 से 40 शब्दों में लिखिए।

क) खैराती, रामू और छिद्दू ने जब आंखें खोली तो उन्हें सामने राजा ही दिखाई दिया ?

Ans. जनता द्वारा आंखें बंद कर देने पर जनता तो नहीं कहीं रही।  चारों और राजा ही राजा रहा। उसी का विकास होता चला गया। राजा का जीवन स्वर्गमय बन गया। जनता का अस्तित्व ही खतरे में पड़ गया। खैरातीरामू और छिद्दू सामान्य ज्ञान के प्रतीक हैं। राजा ने हमेशा के लिए सत्ता पर कब्जा जमाए रखने के लिए आम जनता को बेवकूफ बनाते हुए बहुत चालाकी से काम लिया। राजा ने अपने गलत कार्यों के प्रति जनता को उदासीन रहने के लिए कहा। ताकि वह स्वेछाचारी  होकर जो भी करें, प्रजा उसे देख ना सके और उसका विरोध ना कर सके। इसलिए प्रजा पहले से भी अधिक दीन-हीन और दयनीय अवस्था में पहुंच गई। उन्हें तो एक दूसरा तक दिखाई नहीं दिया।  उनकी आंखों पर राजा ने अपनी भक्ति की पट्टी हमेशा के लिए बांध दी थी। हर ओर राजा था। प्रजा कहीं नहीं थी।

अथवा

ख) आधुनिक भारत के नए शरणार्थी किन्हे कहा गया है ?

Ans. आधुनिक भारत के  नए शरणार्थीउन्हें कहा गया है जिन्हें औद्योगीकरण के झंझावात ने अपने घर जमीन से उखाड़ कर हमेशा के लिए निर्वासित कर दिया है। प्रकृति और इतिहास के बीच यह  गहरा अंतर है। प्रकृति जब लोगों को उजाड़ती है तो वह लोग कुछ अरसे  के लिए बाहर चले जाते हैं और आफत टल जाने के बाद पुनः अपने स्थानों पर लौट आते जाते हैं। पर विकास और प्रगति के नाम पर जब इतिहास लोगों को उन्मूलित करता है, तो वे फिर कभी अपने घर नहीं लौट पाते।  वे शरणार्थी बनकर रह जाते हैं। और औद्योगिकरण ने आधुनिक भारत में ऐसे नए शरणार्थी बना दिए हैं।

9. निम्नलिखित में से किन्ही दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 से 40 शब्दों में लिखिए।

क) “बच्चे का माँ का दूध पीना सिर्फ दूध पीना नहीं माँ से बच्चे के सारे संबंधों का जीवन चरित्र होता है। “बच्चों के लिए माता-पिता अनेक कष्ट सहकर उन्हें पालते पोसते हैं और उनका ध्यान रखते हैं पर वृद्धावस्था में उन्हें उपेक्षित होना पड़ता है। समाज के इस चरित्र को आप कितना उचित मानते हैं ? अपने उत्तर के पक्ष में तर्क प्रस्तुत करें।

Ans. तर्कपूर्ण विचारों और उत्तर को लिखने के लिए उचित अंक दिए जाएं

ख) ‘बिस्कोहर की माटी’ पाठ किस शैली में लिखा गया है ? और इसमें लेखक ने बिस्कोहर से जुड़ी किन-किन स्मृतियों को पाठक तक पहुंचाने की कोशिश की है ?

Ans. बिस्कोहर की माटी पाठ आत्मकथात्मक शैली में लिखा गया है। इस पाठ में लेखक ने अपने जीवन में माँ, गांव और आसपास के प्राकृतिक परिवेश का वर्णन करते हुए ग्रामीण जीवनशैली, लोक कथाओं, लोक मान्यताओं का वर्णन किया है। पूरी कथा के केंद्र में बिस्कोहर (लेखक का गांव) और एक पात्र विश्वनाथ (लेखक सवयं) है।

ग) लेखक की चिंता सिर्फ मालवा तक सीमित न होकर किस प्रकार सर्वभौमिक हो गई है ?

Ans. लेखक की पर्यावरण संबंधी चिंता सिर्फ मालवा तक सीमित न होकर सार्वभौमिक हो गई है।  अमेरिका की खाऊ  उजाड़ू जीवन पद्धति ने दुनिया को इतना प्रभावित किया है कि हम अपने जीवन पद्धति, संस्कृति, सभ्यता तथा अपनी धरती को उजाड़ने में लगे हुए हैं। लेखक ने खाऊ  उजाड़ू जीवन पद्धति के द्वारा पर्यावरणीय विनाश की पूरी तस्वीर खींची है जिसे मालवा भी नहीं बच सका है। वातावरण को गर्म करने वाली कार्बन डाइऑक्साइड गैस होने मिलकर धरती के तापमान को 3 डिग्री सेल्सियस बढ़ा दिया है। यह गैसे सबसे ज्यादा अमेरिका और यूरोप के विकसित देशों से निकलती है। अमेरिका इन्हे रोकने को तैयार नहीं है। आज हमारे समुद्रों का पानी गर्म हो रहा है। धरती के ध्रुवों पर जमी बर्फ पिघल रही हैं। मौसमों का चक्र बिगड़ रहा है।  आधुनिक औद्योगिक विकास में लोगों को अपनी जड़- जमीन से अलग कर दिया है।