प्रथम प्रतिवर्ष प्रश्न पत्र 2021 – 22
विषय – हिंदी (आधार) विषय कोड – 302
कक्षा – 12 वी
निर्धारित अवधि – 2 घंटे कुल अंक – 40
- निम्नलिखित निर्देशों को सावधानी से पढ़िए और उनका पालन कीजिये।
- इस प्रश्न पत्र में कुल 7 प्रश्न पूछे गए हैं। सभी के वर्णात्मक उत्तर लिखने है।
- प्रश्नो में आंतरिक विकल्प भी दिए गए हैं, निर्देशानुसार उत्तर लिखये।
1. निम्नलिखित में से किसी 1 विषय पर लगभग 150 शब्दों में रचनात्मक लेख लिखिए।
क) काम पर जाते बच्चे
ख) उगता सूरज
ग) सजग नागरिक
Ans. भूमिका – 1 अंक
विषयवस्तु – 3 अंक
भाषाशैली – 1 अंक
2. समाज में मास्क पहनने और दो गज दूरी के प्रति लोगो को जागरूक करते हुए किसी दैनिक समाचार के संपादक को पत्र लिखिए।
अथवा
कोविद – 19 अनलॉक में विद्यालयों को पुनः शुरू करने का निवेदन करते हुए अपने राज्य के मुख्यमंत्री को पत्र लिखिए।
Ans. आरंभ और अंत की औपचारिकताएं – 1 अंक
विषयवस्तु – 3 अंक
भाषा – 1 अंक
3. क) कहानी और नाटक में क्या क्या असमानताएँ होती है?
Ans. कहानी कही या पढ़ी जाती हैं नाट्य मंच पर प्रस्तुत किया जाता हैं, कहानी का सम्बन्ध लेखक और पाठक से जबकि नाटक लेखक, निर्देशक, पात्र, दर्शक, श्रोता से, नाटक में मंच सज्जा, प्रकाश व्यवस्था जबकि कहानी के लिए नहीं। नाटक में अलग – अलग दृश्य होते हैं, अभिनय होता है।
अथवा
कहानी का नाट्य रूपांतरण करते समय दृश्य विभाजन कैसे करते हैं?
Ans. कहानी का नाट्य रूपांतरण करते समय दृश्य विभाजन निम्न प्रकार से किया जाता है:-
– कहानी की कठावस्तु को समय और स्थान के आधार पर विभाजित करके दृश्य बनाए जाते हैं।
– प्रत्येक दृश्य कथानक के अनुसार होते हैं।
– एक स्थान और समय पर घट रही घटना को एक ही दृष्टि में दिखाया जाता है।
– प्रत्येक दृश्य का पूरा विवरण एक साथ होता है। सावधानीपूर्वक सभी बातों का समावेश।
ख) नाटक, साहित्य की अन्य विधाओं से अलग है , कैसे?
Ans. नाटक, साहित्य की अन्य विधाओं से अलग है
नाटक एक दृश्य विद्या है। अन्य विधाओं की अपेक्षा नाटक के तत्व भिन्न होते हैं, नाटक लिखित रूप में अपनी दृश्यता की ओर बढ़ता है। नाटक बहू आगामी होता है, यह पढ़ने, सुनने, देखने में आनंद की अनुभूति कराता है। नाटक का मंचन ही उसकी संपूर्णता है।
अथवा
रेडियो नाटक में किन किन बातों का ध्यान रखना आवशयक होता है?
Ans. रेडियो नाटक में निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना आवश्यक होता है:
– कोई घटना प्रधान कहानी न हो।
– रेडियो नाटक की अवधि 15 से 30 मिनट।
– पात्रों की सीमित संख्या।
4. क) समाचार लेखन की उल्टा पिरामीड शैली से आप क्या समझते हैं?
Ans. समाचार लेखन की उल्टा पिरामिड शैली
समाचार लेखन की बुनियादी, लोकप्रिय तथा उपयोगी शैली को उल्टा पिरामिड – शैली कहा जाता है।
इसके 3 भाग होते हैं – इंट्रो या मुखड़ा, बॉडी, समापन।
अथवा
किसी घटना को समाचार बनने के लिए किन बातों का होना जरुरी है?
Ans. किसी घटना को समाचार बनने के लिए नवीनता, निकटता, जनरुचि, प्रभाव आदि का होना जरूरी है।
ख) एक आदर्श फीचर लेखन की विशेषताएं लिखिए।
Ans. एक आदर्श फीचर लेखन की विशेषताएँ: –
– पात्रों की मौजूदगी से सजीव बनाया जा सकता है। कहानी को पात्रों के माध्यम से कहने की कोशिश करनी चाहिए। पाठक को देखने की अनुभूति का एहसास कराना चाहिए। फीचर को मनोरंजक के साथ-साथ सूचनात्मक भी होना चाहिए। फीचर का कोई तथ्यगत ढाँचा नहीं होता।
अथवा
विशेष लेखन से आप क्या समझते हैं, विशेष लेखन कब लिखा जाता है?
Ans. विशेष लेखन: – किसी खास विषय पर सामान्य से हटकर किया गया लेखन। किसी खास मुद्दे को जीवंत करने के लिए लिखा जाता है। समसामयिक ज्वलंत मुद्दे या किसी विशेष विषय जैसे व्यापार, राजनीति, विदेश नीति, अर्थ, खेल, वाणिज्य आदि विषयों के लिए विशेष लेख लिखे जाते हैं।
पाठ्य पुस्तक आरोह भाग – 2 तथा अनुपूरक पाठ्यपुस्तक वितान भाग – 2
5. ‘आरोह भाग दो’ के ‘काव्य -खंड’ से निम्नलिखित में से दो प्रश्नो के उत्तर लिखिए
क) ‘उषा’ कविता के आधार पर सूर्योदय से ठीक पहले के प्राकृतिक दृश्यों का चित्रण कीजिये।
Ans. ‘उषा‘ कविता के आधार पर सूर्योदय से ठीक पहले के प्राकृतिक दृश्यों का चित्रण सुबह समय सूर्य उदित होते समय ऐसा लगता है मानो कोई नीले सरोवर में स्नान करके बाहर आ रहा हो। किरणें धीरे धीरे आसमान में छा जाती हैं। ओस के कणो पर सूर्य की किरने अद्भुत दृश्य उत्पन्न करती हैं, प्रकृति के दृश्य पल-पल बदलते हैं। पक्षी चहचाहने लगते हैं जीवन सजीव हो उठता है।
जैसे-जैसे शाम होती है सूर्य एक थके हुए पथिक की भाँति धीमि गति से अस्त होने लगता है। पक्षी घोंसले की तरफ लौटने लगते हैं। सारा जीव-जगत भी आराम करने की तैयारी करने लगता हैं।
ख) फिराक गोरखपुरी रचित रुबाइयाँ की विशेषताएँ लिखिए
Ans. फिराक गोरखपुरी रचित रुबाइयाँ की विशेषताएँ
फिराक की रुबाई में हिंदी का एक घरेलू रूप दिखता है। सामान्य बोलचाल के शब्दों के प्रयोग तथा भारतीय परंपरा व जीवन पद्धति को विषय बनाया गया है रुबाई उर्दू फ़ारसी का एक छंद या लेखन शैली है। इसकी पहली, दूसरी और चौथी पंक्ति में तुक (काफिया} मिलाया जाता है। तथा इसकी तीसरी पंक्ति स्वतंत्र होती हैं।
ग) शोकग्रस्त माहौल में हनुमान के अवतरण को करुण रस के बीच वीर रस का आविर्भाव क्यों कहा गया है?
Ans. शोकग्रस्त माहौल में हनुमान के अवतरण को करुण रस के बीच वीर रस का आविर्भाव कहा गया है क्योंकि लक्ष्मण के मूर्छित होने के कारण राम विलाप करने लगते हैं तो संपूर्ण वानर वीर भी शोक ग्रस्त हो विलाप करते हुए राम के चारों ओर एकत्र हो गए। इसी बीच हनुमान का हिमालय पर्वत लेकर आगमन नई आशा का संचार कर देता है। वानर वीर उत्साहित होकर उछल-कूद करने लगते हैं।
6. ‘आरोह भाग दो’ के ‘गद्य -खंड’ से निम्नलिखित में से तीन प्रश्नो के उत्तर लिखिए
क) ‘पहलवान की ढोलक’ कहानी में महमारी के फैलने के बाद गाँव में सूर्योदय और सूर्यास्त के दृश्य में क्या अंतर होता था?
Ans. ‘पहलवान की ढोलक‘ कहानी में महामारी फैलने के बाद गांव में सूर्योदय और सूर्यास्त के दृश्य में अंतर होता था।
सूर्योदय का दृश्य – महामारी फैलने की वजह गाँव में सूर्योदय होते ही लोग काँखते-कूँखते, कराहते अपने घरों से निकलकर अपने पड़ोसियों व आत्मीयों को ढाँढस देते थे। इस प्रकार उनके चेहरे पर चमक बनी रहती थी। वे बचे हुए लोगों को शोक न करने की बात कहते हैं।
सूर्यास्त का दृश्य – सूर्यास्त होती ही सभी लोग अपनी-अपनी झोपड़ियों में जाते थे। उस समय वे चूँ तक नहीं करते थे। उनके बोलने की शक्ति भी जाती रहती थी। यहाँ तक कि माताओं में दम तोड़ते पुत्र को अंतिम बार ‘बेटा!” कहकर पुकारने की हिम्मत ही नहीं होती थी। ऐसे समय में पहलवान की ढोलक की आवाज रात्रि की विभीषिका को चुनौती देती रहती थी।
ख) जाती प्रथा को श्रम विभाजन का आधार क्यों नहीं माना जा सकता? ‘जातिप्रथा और श्रम विभाजन पाठ से उदाहरण देकर समझाइए।
Ans. जातिप्रथा को श्रम विभाजन का ही एक रूप न मानने के पीछे अंबेडकर के निम्नलिखित तर्क हैं –
जाति प्रथा श्रम विभाजन के साथ-साथ श्रमिक विभाजन भी कराती है। सभ्य समाज में श्रमिकों का विभिन्न वर्गों में विभाजन अस्वाभाविक है।
जाति प्रथा में श्रम विभाजन मनुष्य की रूचि पर आधारित नहीं है। उसमें मनुष्य के प्रशिक्षण अथवा निजी क्षमता का विचार किए बिना किसी दूसरे के द्वारा उसके लिए पेशा निर्धारित किया कर दिया जाता है। यह जन्म पर आधारित होता है।
भारत में जाति प्रथा मनुष्य को जीवन भर के लिए एक पेशे में बाँध देती है, भले ही वह पेशा उसके लिए अनुपयुक्त या अपर्याप्त क्यों ना हो। इससे उसके भूखों मरने की नौबत आ जाती है।
ग) आदर्श समाज की क्या क्या विशेषताएँ होती हैं? ‘मेरी कल्पना का आदर्श समाज’ अंश के आधार पर लिखिए।
Ans. लेखक का आदर्श समाज स्वतंत्रता, समता भ्रातृत पर आधारित होगा। समाज में इतनी गतिशीलता होनी चाहिए कि कोई भी परिवर्तन समाज में तुरंत प्रसारित हो जाए। ऐसे समाज में सब कार्यों में भाग होना चाहिए तथा सबको सबकी रक्षा के प्रति सजग रहना चाहिए। सबको संपर्क के साधन व अवसर मिलने चाहिए। यही लोकतंत्र है। लोकतंत्र मूलतः समाजिक जीवनचर्या की एक रीति व समाज के सम्मिलित अनुभवों के आदान-प्रदान का नाम है। आवागमन, जीवन व शारीरिक सुरक्षा की स्वाधीनता, संपत्ति, जीविकोपार्जन के लिए जरूरी औजार व सामग्री रखने के अधिकार की स्वतंत्रता पर किसी को कोई आपत्ति नहीं होती, परंतु मनुष्य के सक्षम व प्रभावशाली प्रयोग की स्वतंत्रता देने के लिए लोग तैयार नहीं है। इसके लिए व्यवसाय चुनने की स्वतंत्रता देनी होती है। इस स्वतंत्रता के अभाव में व्यक्ति ‘दासता‘ में जकड़ा रहेगा।
घ) नमक ले जाने के बारे में साफिया के मन में उठे द्वंदों के आधार पर उनकी चारित्रिक विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए ?
Ans. नमक ले जाने की बात सोचकर सफ़िया द्वद्वग्रस्त हो जाती है। उसके भाई ने जब उसे यह बताया कि नमक ले जाना गैरकानूनी है तो वह और अधिक परेशान हो जाती है। चूँकि वह आत्मविश्वास से भरी हुई है इसलिए वह मन में ठान लेती है कि नमक पाकर ही रहेगी। उसमें किसी भी प्रकार का दुराव या छिपाव नहीं है। वह देश प्रेमीका है। दूसरों की भावनाओं का ख्याल वह रखती है, उसने भावुकता है किसी कारण भाई जब नमक ले जाने से मना कर देता है तो वह रो देती है।
7. पाठ्य पुस्तक ‘वितानभाग २’ के निम्नलिखित प्रश्नो के उत्तर लिखिए।
क) ‘किटटी कौन थी? ऐन फ्रैंक ने किटटी को संभोधित करते हुए डायरी क्यों लिखी ?
Ans. किट्टी ऐन फैंक की काल्पनिक निर्जीव गुड़िया थी। ऐन फैंक ने किट्टी को संबोधित कर अपने मन में उठे विचारों, भावनाओं को बांटना चाहती है। ऐन के परिवार में उनके विचारों को सुनने वाला कोई नहीं है, वह सबसे छोटी है जिससे मन की जिज्ञासा को शांत करने वाला भी कोई नहीं है। छोटे होने के कारण उसकी बातों को कोई सुनने का भी प्रयास नहीं करता। किशोर वय की बालिका के मन में तरह-तरह की कल्पनाएँ जन्म देती है, पर साथ खेलने वाले भी कोई नहीं है।
अथवा
‘सिंधु घाटी की सभ्यता’ साधन संपन्न थी। कैसे?
Ans. सिंधु घाटी सभ्यता बहुत ही संपन्न सभ्यता थी। सिंधु घाटी सभ्यता में हर तरह के साधन जैसे पक्की सड़कें, खाद्ययान्नान निवास स्थान, यातायात के साधन उपलब्ध थे। इतना होने के बाद भी इस सभ्यता में किसी तरह का दिखावा नहीं था। कोई बनावटीपन या आडंबर नहीं था। राजा महाराज के कोई भव्य प्रसाद या मुकुट प्राप्त नहीं हुआ। जो भी निर्माण कार्य इस सभ्यता के लोगों ने किया वह सुनियोजित और मनोहारी था। निर्माण शैली साधारण होने के बाद भी दिखावे से कोसों दूर थे। जो वस्तु जिस रूप में सुंदर लग सकती थी, उसका निर्माण उसी ढंग से व्यवस्थित रूप में किया गया है।
ख) ‘अतीत में दबे पाँव’ पाठ में लेखक ने प्राचीन लैंडस्केप किसे कहा हैं? इसकी क्या विशेषता हैं?
Ans. ‘अतीत में दबे पांव‘ पाठ में लेखक ने प्राचीन लैंडस्केप बौद्ध स्तूप को कहा गया है |
मोहनजो-दड़ो के सबसे ऊंचे चबूतरे पर स्थापित है, इसी बौद्ध स्तूप की खुदाई करते हुए सिंधु सभ्यता के बारे में ज्ञात हुआ। इस चबूतरे को गढ़ कहा जाता है।
अथवा
‘ऐन की डायरी’ के अंश से प्राप्त होने वाली तीन महत्वपूर्ण जानकारियों का उल्लेख कीजिए।
Ans. ‘ऐन की डायरी‘ के अंश से प्राप्त होने वाली तीन महत्वपूर्ण जानकारियां निम्नलिखित है –
1. हिटलर द्वारा यहूदियों को यातना देने के विषय में।
2. स्त्रियों की स्वतंत्रता के विषय में आधुनिक विचार।
3. डच लोगों की प्रवृत्ति तथा प्रतिक्रिया।